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हास्य शायरी
लंदन में जश्न-ए-हज़रत-ए-'ग़ालिब' की रात थी
तारीख़-ए-शाएरी में ये इक वारदात थी
दिलावर फ़िगार
नज़्म
रामायण का एक सीन
रुख़्सत हुआ वो बाप से ले कर ख़ुदा का नाम
राह-ए-वफ़ा की मंज़िल-ए-अव्वल हुई तमाम
चकबस्त ब्रिज नारायण
नज़्म
हिण्डोला
दयार-ए-हिन्द था गहवारा याद है हमदम
बहुत ज़माना हुआ किस के किस के बचपन का